झारखंड सरकार ( Hemant Soren) के नियोजन नीति 2021 को रद्द किए जाने के बाद सरकार के खिलाफ लगातार छात्रों का आक्रोश देखा जा रहा है अभी आक्रोश बढ़ते बढ़ते हजारीबाग में देखने को मिल रहा है रांची में कई प्रदर्शन करने के बाद अब छात्र छात्रों का गढ़ माने जाने वाला शहर हजारीबाग Hazaribagh में भी Hemant Soren सरकार के खिलाफ जनसभा कर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास करेंगे हजारीबाग के पितांबर नीलांबर चौक से 1 फरवरी को होते हुए गांधी मैदान तक पैदल मार्च छात्रों के द्वारा किया जाएगा पैदल मार्च के बाद छात्रों के मुख्य प्रवक्ता के तौर पर टाइगर जयराम महतो जनसभा को संबोधित करेंगे वहीं युवा छात्र नेता देवेंद्र महतो भी छात्रों का प्रतिनिधित्व करेंगे ऐसे में इस तरह के कार्यक्रम से यह साफ देखा जा सकता है कि झारखंड सरकार Jharkhand Government के द्वारा जिस तरह से छात्रों को नौकरी देने की बात कही गई थी उन तमाम चीजों पर Hemant Soren सरकार खरा नहीं उतर सकी है ऐसे में युवा छात्रों के द्वारा Hemant Soren सरकार के खिलाफ हल्ला बोल मुहिम चलाई जा रही है हजारीबाग Hazaribagh से बड़ा संदेश देने की कोशिश है
क्या है पूरा मामला
दरअसल नियोजन नीति रद्द हुए जाने के बाद छात्रों को झारखंड विधानसभा के समक्ष सीधे तौर पर Hemant Soren सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर जेएमएम विधायक सुधीर सोनू मंत्री सत्यानंद भोक्ता दीपिका पांडे लंबोदर महतो एवं विनोद सिंह द्वारा आश्वासन दिया गया था कि सरकार 30 दिनों के अंदर संवैधानिक नियोजन नीति लेकर आएगी अब उस वादे के मुताबिक अब तक सरकार के द्वारा नियोजन नीति संवैधानिक तौर पर नहीं आ पाई है जिसको लेकर के छात्रों ने सीधे तौर पर उस वक्त अल्टीमेटम दिया था कि हम प्रदर्शन करेंगे तत्पश्चात हजारीबाग Hazaribagh में 1 फरवरी को छात्रों Students का आक्रोश देखने को मिलेगा
छात्रों का गढ़ है हजारीबाग
आपको बता दें हजारीबाग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ साथ एजुकेशन हब तक का माने जाने वाला शहर को देखा जा सकता है ऐसे में सीधे तौर पर छात्रों को एकजुट करने के लिए एवं सरकार तक अपनी मजबूती के साथ बात पहुंचाने के लिए हजारीबाग में कल छात्रों का प्रदर्शन रहेगा
क्या है नियोजन नीति 2021
इसमें यह प्रावधान था कि थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में सामान्य वर्ग के उन्हीं लोगों की नियुक्ति हो सकेगी, जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा झारखंड से पास की हो। रांची हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है और कहा है कि यह समानता के अधिकार के अधिकार के खिलाफ है।
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